200 करोड़ रुपये तक ग्लोबल टेंडर को रोक. जाने डिटेल मैं
वित् मंत्री निर्मला सीतारमण जी आर्थिक पैकेज का पहला ब्लूप्रिंट जारी करते हुए हमारे देश के छोटे और मध्यम वर्ग के कंपनी को बहोत बड़ी राहत दी है जिसे मसमे कहते है इस सेक्टर को सबसे पहले ब्लूप्रिंट मे इसलिए भी रखा गया है क्युकी हमारे देश के लगभग 11 करोड़ कर्मचारी की जीविका इस सेक्टर से चलती है हमारे देश मे कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर MSME है और ये सेक्टर देश के कुल निर्यात का लगभग 40 % का योगदान इस सेक्टर का है इसलिए सबसे बड़ा संकट इन छोटी कंपनी पर है !
इसलिए 3 लाख करोड़ का आर्थिक सहायता इस सेक्टर को देते हुए वित् मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने कुछ सरते भी बनाये है इसके मुताबित बिना गारंटी के लोन मिल सकेंगे और अगर कम्पनिया चाहे तो ब्याज में 1 साल तक छूट भी मिलेगी !
इसमें कुछ बदलाव करते हुए ये ध्यान रखा जायेगा की कंपनी कीतना निवेश कर रही है और उन्हें कितने का कारोबार हो रहा है जबकि पहले ऐसा नहीं था पहले 25 लाख तक का निवेश करने वाले कंपनियों को माइक्रो माना जाता था लेकिन अब 1 करोड़ रुपये का निवेश और 5 करोड़ तक का सालाना कारोबार करने वालो कंपनियों को ही माइक्रो माना जायेगा !
यह आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाएगा को सक्षम बनाएगा. #AatmaNirbharBharatAbhiyan pic.twitter.com/FHIpKfyD3Q
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) May 13, 2020
इसी प्रकार स्मॉल इंटरप्राइजेज वो कम्पनिया मानी जाएँगी जिसमे 10 करोड़ का निवेश और 50 करोड़ तक का सालाना कारोबार होगा !
मीडियम इंटरप्राइजेज वो कम्पनिया मानी जाएगी जिसमे 20 करोड़ तक का निवेश होगा और 100 करोड़ तक का सालाना कारोबार होगा
ऐसा इसलिए किया गया है ताकि हमारी देश की कम्पनिया विदेशी कम्पनीओ के आगे कम्पटीशन में टिक नहीं पाती थी इन कम्पनीओ के लिए एक लिमिट थी की वो कितनी रकम तक का निवेश कर सकते है
ऐसा इसलिए भी किया गया है की लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये से कम के ग्लोबल टेंडर को भी ख़त्म कर दिया गया है इसका मतलम अब सरकार की तरफ से 200 करोड़ से कम का कोई भी ग्लोबल टेंडर नहीं होगा अब भारत सरकार की तरफ से 200 करोड़ का कोई आर्डर आएगा तो उसे इंडियन कंपनी को ही दिया जायेगा बाकि दुनिया के सरे कंपनी को इससे बहार रखा जायेगा !
ऐसा इसलिए किया गया है क्युकी भारत सरकार से कोई भी टेंडर निकलता था तो उसे विदेशी कंपनी कम रेट पे टेंडर भर कर उस टेंडर को हासिल कर लेता था जिससे वो सारा पैसा विदेशो मे चला जाता था
इसके अलावा सरकार ने 50 हज़ार करोड़ का अलग से फण्ड बनाया है इसमें जो कंपनी कर्ज के कारन फेल होने के कगार पे है उसे ये रकम दिया जायेगा